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आंध्र प्रदेश सरकार ने राज्य की प्रशासकीय राजधानी अमरावती से विशाखापत्तनम किए जाने के फैसले को टाल दिया

किसानों के विरोध प्रदर्शनों के बीच आंध्र प्रदेश की जगन मोहन रेड्डी सरकार ने शुक्रवार को राज्य की प्रशासकीय राजधानी अमरावती से विशाखापत्तनम किए जाने के फैसले को टाल दिया। कैबिनेट ने इसको लेकर एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने का भी निर्णय लिया है।

कैबिनेट ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जी एन राव की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी, जिसमें तीन राजधानियों के गठन की सिफारिश की गई थी।

मंत्रिमंडल की बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए सूचना और जनसंपर्क मंत्री पर्नी वेंकटरामैया ने कहा कि सरकार ने तीन राजधानियों को लेकर एक निजी कंसल्टेंसी फर्म- बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) को रिपोर्ट बनाने को कहा है। बीसीजी के जनवरी के पहले सप्ताह तक रिपोर्ट सौंपने की उम्मीद है। उसके बाद राज्य सरकार दोनों रिपोर्टों का अध्ययन करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करेगी और अंतिम फैसला लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि 2014 में राज्य के विभाजन से पहले केंद्र द्वारा गठित शिवरामकृष्णन समिति ने भी सत्ता और विकास के विकेंद्रीकरण की सिफारिश की थी। अमरावती क्षेत्र के किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मंत्री ने कहा कि उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के आवास के सामने धरना देना चाहिए जिन्होंने इस क्षेत्र में 33,000 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया था लेकिन 1,000 एकड़ भूमि भी विकसित नहीं की थी। उन्होंने आगे कहा कि यदि नायडू ने अपने शासन के दौरान कैपिटल कंस्ट्रक्शन पूरा कर लिया होता तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती।

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