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सावरकर के पोते को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नहीं दिया मिलने का समय

मुंबई: कांग्रेस सेवादल के शिविर में नाथूराम गोडसे और वीर सावरकर के विवादित संबंधों पर लिखी गई किताब को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है. इस मामले में शिकायत लेकर मंत्रालय पहुंचे सावरकर के पोते को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मिलने का समय नहीं दिया और सीएम बिना मुलाकात के मंत्रालय से निकल गए.

दरअसल, कांग्रेस सेवादल के शिविर में बांटी गई विवादित पुस्तक पर सावरकर के पोते रंजीत ने रोक लगाने की मांग की है. साथ रंजीत सावरकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के वीर सावरकर पर दिए गए बयान से भी नाखुश हैं. इसी मामले में केस दर्ज कराने की मांग को लेकर वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए मंत्रालय पहुंचे, लेकिन सीएम ने उनको मिलने का वक्त देना उचित नहीं समझा.

सावरकर के पोते ने कहा, ‘एक तरफ शिवसेना सावरकर के गुणगान करती है, जबकि दूसरी तरफ उसी के नेता वीर सावरकर के अपमान पर शिकायत लेने के लिए वक्त तक नहीं दे रहे.’

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री दफ्तर को अपॉयमेंट कई बार कॉल भी किया था, लेकिन सीएम दफ्तर ने मुलाकात का समय नहीं दिया. मैंने 40 मिनट तक इंतजार किया, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं मिले. यह अपमानजनक है. इसके बाद रंजीत सावरकर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ केस दर्ज कराने का मांग का एक शिकायती पत्र मंत्रालय को देकर वापस लौट गए.

कांग्रेस सेवादल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तर्ज पर कैडर तैयार करने के मकसद से मध्यप्रदेश की राजधानी में शिविर लगाया है. 02 जनवरी से शुरू हुए इस शिविर में जो साहित्य बांटा गया, उनमें एक किताब ऐसी भी है, जिसमें नाथूराम गोडसे और सावरकर के विवादित संबंधों का जिक्र है. भोपाल के बैरागढ़ इलाके में शुरू हुए कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आए प्रशिक्षुओं के बीच ऐसा साहित्य बांटा गया, जो भाजपा, संघ और सावरकर तक सीमित है. इनमें ‘वीर सावरकर कितने वीर’ शीर्षक एक किताब भी बांटी गई, जिसमें नाथूराम गोडसे और सावरकर के संबंधों को लेकर विवादित बातों का जिक्र किया गया है. इसमें लॉरी कॉलिंस और डॉमिनोक्यू लापियर द्वारा लिखित किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ के हवाले से कहा गया है कि गोडसे और सावरकर के बीच ‘समलैंगिक’ संबंध थे.

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