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कर्नाटक के 12 साल के वेंकटेश ने पेश की थी बहादुरी की ऐसी मिसाल, राष्ट्रपति से मिला पुरस्कार

नई दिल्ली: छोटा बच्चा जानकर इनको न बहलाना रे… ये वो लाइनें हैं, जो कभी 90 दशक के हर बच्चे की जुबां पर रहता था पर कहीं न कहीं ये लाइनें बच्चे वाकई सच कर देते हैं.

एक तरफ जहां बच्चे भगवान का रूप कहे जाते हैं, वहीं कुछ बच्चे इस कहावत को सच भी साबित कर देते हैं. इसकी बानगी हाल ही में राष्ट्रपति भवन में बच्चों को वीरता पुरस्कार मिलने के बाद दिखी. 22 बच्चों को मिले वीरता पुरस्कार के बाद उनके साहस की कहानियों को भी दुनिया के सामने लाया गया.

इन बच्चों के साहसिक कामों को जानकर आप भी दांतों तले उंगली दबा लेंगे. कर्नाटक के बाढ़ग्रस्त इलाके में एक 12 साल के वेंकटेश ने भी बहादुरी की जबरदस्त मिसाल पेश की थी.

दरअसल, उस समय कर्नाटक में रायचूरू जिले के हरियानकुंपे गांव में बाढ़ आई थी. चारों ओर पानी ही पानी भरा था. तभी बाढ़ग्रस्त इलाके से एक एंबुलेंस जानी थी पर ज्यादा पानी की वजह से एंबुलेंस का ड्राइवर उसे आगे नहीं बढ़ा पा रहा था. अंदर एंबुलेंस में मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी. वेंकटेश ने ये सब देखकर बिना डरे आगे बढ़ना शुरू किया और एंबुलेंस के आगे-आगे चलकर ड्राइवर को रास्ता दिखाया. खास बात तो ये रही कि वेंकटेश को भी न केवल रास्ता पता था बल्कि कहां-कहां गड्ढे हैं, इस बात की भी जानकारी थी. इसके बाद उसने ड्राइवर को मेन रोड तक पहुंचा दिया. इससे मरीज की जान बच गई.

जब वेंकटेश मदद कर रहा था तो वो कई बार पानी में गिरा भी पर उसने फिर भी एंबुलेंस को मेन रोड तक पहुंचाया. उसके इस साहस को कई  लोगों ने अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया. इसके बाद जिसने भी देखा, सभी ने वेंकटेश की तारीफ की.

इस तरह कर्नाटक के एक छोटे से गांव के रहने वाले वाले 12 साल के वेंकटेश ने सभी के दिलों में अपनी जगह बना ली. उसका नाम भी राष्ट्रपति से वीरता पुरस्कार पाने वाले 22 बच्चों में शामिल है

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