ताज़ातरीन

एक बार फिर एअर इंडिया को बेचने का प्लान, ओपन टेंडर के जरिए सरकार ने 17 मार्च तक मंगाए आवेदन

एअर इंडिया को आर्थिक संकट से उबारने की कोशिशें काम ना आईं. अब सरकार ने इस सरकारी कंपनी के डिसइनवेस्‍टमेंट (विनिवेश) का फैसला किया है. 17 मार्च तक खरीदारों से आवेदन मंगाई गई हैं. सरकार की तरफ से एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EoI) मंगाए गए हैं. एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्‍सप्रेस, दोनों के 100 फीसदी शेयर सरकार के पास हैं.

कांग्रेस के कपिल सिब्‍बल ने सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. उन्‍होंने कहा, “जब सरकारों के पास पैसा नहीं होता तो वे यही करती हैं. भारत सरकार के पास पैसा नहीं है, ग्रोथ 5% से कम है और MNREGA का करोड़ों रुपये बकाया है. वो (सरकार) यही करेंगे, हमारी बहुमूल्‍य संपत्तियां बेच देंगे.”
एयर इंडिया पर इस वक्‍त करीब 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है. साल 2018-19 में, एयर इंडिया का शुद्ध घाटा 8,556.35 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
इसी महीने की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह की अध्‍यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्‍टर्स (GoM) ने एयर इंडिया के निजीकरण वाले प्रस्‍ताव को मंजूरी दी थी. सरकार का कहना है कि वह वित्त वर्ष 2011-12 से इस साल दिसंबर तक एयर इंडिया में 30,520.21 करोड़ रुपये का निवेश कर चुकी है.
इससे पहले, मोदी सरकार ने मई 2018 में अपनी 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए EOI मंगाए थे. लेकिन बोली के पहले चरण में एक भी निजी पार्टी ने इंटरेस्‍ट नहीं दिखाया.
भारत सरकार ने एयर इंडिया की हालत सुधारने के लिए पिछले साल फरवरी में अश्विनी लोहानी को इसका चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्‍टर बनाया था. हालांकि वह भी इसे घाटे से बाहर नहीं ला सके. इससे पहले अगस्‍त 2017 से सितंबर 2017 के बीच एयर इंडिया चीफ रहे लोहानी ने एयरलाइन को फायदा कराया था. हालांकि इसके बाद उन्‍हें रेलवे बोर्ड का चेयरमैन बना दिया गया.

Most Popular

To Top